Saturday, July 5, 2025
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शिंदे गुट के 20 विधायकों की Y-कैटेगरी सुरक्षा घटाई:भाजपा और NCP विधायकों की भी सुरक्षा कम हुई, रिपोर्ट्स में दावा- शिंदे नाराज

महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे गुट के 20 विधायकों की Y कैटेगिरी सुरक्षा हटा ली गई है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन विधायकों की सुरक्षा में सिर्फ एक कॉन्स्टेबल तैनात किया गया है।

वहीं, भाजपा और NCP (अजित गुट) के कुछ विधायकों की सुरक्षा घटाने की खबर है। हालांकि, न तो शासन ने इस पर बयान जारी किया है, न ही विधायकों ने कुछ बोला है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि शिंदे इस फैसले से नाराज हैं।

संजय राउत और प्रियंका चतुर्वेदी ने साधा निशाना

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सुरक्षा हटाने के इस फैसले पर विपक्षी दलों ने भी तंज कसा है। शिवसेना (उद्धव गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर लिखा, “महायुति वैलेंटाइन मंथ मना रही है…नहीं।” वहीं संजय राउत ने इसे महायुति सरकार में दरार का संकेत बताया।

रायगढ़-नासिक के संरक्षक मंत्री पद को लेकर शुरू हुआ विवाद भाजपा और शिंदे गुट के बीच विवाद रायगढ़ और नासिक के संरक्षक मंत्री की नियुक्ति से शुरू हुआ था। दरअसल, CM देवेंद्र फडणवीस ने NCP अदिति तटकरे को रायगढ़ का संरक्षक मंत्री नियुक्त किया था। यह डिप्टी CM एकनाथ शिंदे को पसंद नहीं आया था।

वे इस पद के लिए अपनी पार्टी के किसी नेता को चाहते थे क्योंकि रायगढ़ में शिवसेना का काफी प्रभाव है। शिंदे की नाराजगी के बाद तटकरे की नियुक्ति रोक दी गई थी। लेकिन मामला अभी भी पूरी तरह सुलझा नहीं है।

फडणवीस की बैठक के बाद शिंदे ने अलग बैठक की सीएम फडणवीस और शिंदे में अनबन की बातें तब सामने आईं, जब डिप्टी सीएम शिंदे ने 17 फरवरी को उद्योग विभाग की रिव्यू मीटिंग की थी। उद्योग मंत्रालय शिंदे के पास है। इस विभाग की रिव्यू मीटिंग जनवरी में सीएम फडणवीस ने भी की थी, तब उसमें एकनाथ शिंदे शामिल नहीं हुए थे।

वहीं, 12 फरवरी को सीएम ने 2027 में होने वाले नासिक कुम्भ की तैयारियों को लेकर बैठक बुलाई थी, उसमें भी शिंदे शामिल नहीं हुए थे। शिंदे ने कुम्भ की तैयारियों की अलग से बैठक 14 फरवरी को की थी।

NCLT से फॉलोअप करने का आदेश शिंदे ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि वे राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) से श्रमिकों के बकाया भुगतान को लेकर फॉलोअप करें। उन्होंने कहा कि MIDC को इस काम के लिए एक विशेष सेल बनानी चाहिए।

दोहरी बैठक से कामकाज पर असर सीनियर सरकारी अधिकारियों के अनुसार मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री द्वारा अलग-अलग बैठक करने से कामकाज में दोहराव हो रहा है। इससे न केवल समय की बर्बादी हो रही है, बल्कि विभागों की कामकाज भी प्रभावित हो रही है।

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