बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी अपना दूसरा और नीतीश सरकार का आखिरी बजट आज यानी सोमवार को पेश करेंगे। बजट करीब 3 लाख 15 हजार करोड़ रुपए के होने का अनुमान है। यह पिछले बजट से करीब 17% ज्यादा है।
सूत्रों के मुताबिक, चुनावी साल में बजट में नीतीश सरकार का फोकस महिलाओं, किसानों और युवाओं पर होगा। आधी आबादी यानी करीब 6 करोड़ महिलाओं से जुड़े ऐलान संभव हैं। हालांकि, पेट्रोल-डीजल के सस्ता होने की उम्मीद नहीं है। सरकार उस पर जारी वैट को कम करने के मूड में नहीं है।
अभी सरकार बिहार में पेट्रोल-डीजल के GST के दायरे में नहीं आता। सरकार इस पर वैट वसूलती है। पेट्रोल और डीजल के बेस प्राइस पर 48 फीसदी वैट लगता है। जबकि, एक्साइज ड्यूटी 35 फीसदी, सेल्स टैक्स 15 फीसदी और कस्टम ड्यूटी 2 फीसदी लगाई जाती है।
सूत्रों के मुताबिक, बजट में करीब 6 लाख सरकारी नौकरी का प्रावधान किया जाएगा। सबसे बड़ी बहाली सिपाही और टीचरों की होगी।
सरकार का दावा है कि चुनाव से पहले 3 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी जाएगी। बाकी की 3 लाख नौकरियां सरकार बनने के बाद दी जाएगी।
सरकार के फोकस में रूरल डेवलपमेंट अब प्रायोरिटी में है। गांवों की पुरानी स्कीम्स के साथ ही नई स्कीम्स के लिए भी सरकार फंड देने की तैयारी में है।

नीतीश सरकार के आखिरी बजट में 5 बड़े ऐलान संभव
1. किसानों को सस्ती बिजली मिलती रह सकती है
डीजल पर सब्सिडी, सस्ती बिजली, फिक्स चार्ज पर बिजली के साथ ही धान, गेंहू, दलहन खरीद के लिए बजट दिया जा सकता है। ट्यूबवेल लगाने पर सब्सिडी का ऐलान संभव है। राज्य में कोल्ड स्टोरेज बढ़ाए जा सकते हैं। साथ ही नई फसलों के बीज पर सब्सिडी का ऐलान हो सकता है।
2. महिलाओं को बिजनेस करने पर मिल सकती है अधिक सब्सिडी
स्मॉल, मीडियम और बिग एंटरप्राइजेस यानी छोटे, मध्यम और बड़ी इंडस्ट्रीज को यदि महिलाएं संचालित कर रही हैं, तो उन्हें अतिरिक्त सब्सिडी देने का ऐलान हो सकता है। इसमें भी दलित महिलाओं को अलग से कुछ राशि आवंटित की जा सकती है।
3. चुनावी साल में 34 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा
राज्यपाल के अभिभाषण में नीतीश सरकार ने कुल 34 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया है। इसमें 12 लाख को नौकरी और 24 लाख को रोजगार देने की बात कही है। सरकार के मुताबिक, सरकार 6 लाख लोगों को नौकरी दे चुकी है। बाकी के 6 लाख नौकरी के लिए फंड की व्यवस्था की जा सकती है।

4. वृद्धा पेंशन में हो सकती है बढ़ोतरी
बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशन की राशि बढ़ सकती है। अभी बिहार सरकार बुजुर्गों को 400 रुपए प्रतिमाह पेंशन दे रही है, इसे बढ़कर 1 हजार रुपए तक किया जा सकता है। इनके हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ा ऐलान भी संभव है।
5. गरीबों को दो-दो लाख रुपए देने का वादा
बिहार जातीय सर्वे के अनुसार, राज्य में 94 लाख लोग आर्थिक रूप से अति गरीब हैं, यानी इनके पास रहने–खाने का भी इंतजाम नहीं है। सरकार ने इन लोगों को 2 लाख रुपए देने का ऐलान किया था। अब चुनाव के पहले इसके लिए राशि आवंटित की जा सकती है।

बजट से पहले तेजस्वी यादव ने साधा निशाना
बजट पेश होने से 24 घंटे पहले यानी रविवार दोपहर नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा…
बजट में सरकार को महिलाओं के लिए कुछ अच्छा ऐलान करना चाहिए। बिहार में बिजली सबसे ज्यादा महंगी है। सरकार बजट में सभी को 200 यूनिट फ्री बिजली देने का ऐलान करें। किसानों के लिए भी फ्री में बिजली देने का काम करें। वृद्धा पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, विधवा पेंशन 400 से बढ़कर 1500 रुपए किया जाए।
अब बजट से जुड़े 2 रोचक किस्से पढ़िए…
किस्सा-1ः बजट बनाया महागठबंधन ने, पेश किया NDA ने
साल- 2024। 26 जनवरी तक सरकार के भीतर सबकुछ सही चल रहा था। राज्यपाल गांधी मैदान में महागठबंधन सरकार की उपलब्धियां गिनवा चुके थे। अधिकारी बजट को अंतिम रूप देने में जुटे थे। मंत्री जी की स्पीच की लाइन से लेकर सरकार की उपलब्धियां तक सबकुछ महागठबंधन सरकार के हिसाब से तय किया जा रहा था।
किस योजना में किस सरकार की आलोचना करनी है से लेकर किस जगह पर कौन सी तस्वीर का इस्तेमाल करना है सबकुछ। अचानक 29 जनवरी को सरकार बदल गई। महागठबंधन की जगह NDA सरकार सत्ता पर काबिज हो गई।
विजय चौधरी की जगह सम्राट चौधरी वित्त मंत्री बन गए। बजट का दिन मात्र 13 दिन दूर था। अधिकारियों ने दिन-रात मेहनत करके बजट के पन्नों से महागठबंधन की निशानियों को मिटाकर NDA की गाथा लिखी। आखिर में जो बजट स्पीच विजय चौधरी के लिए लिखी गई थी, उसे सम्राट चौधरी ने सदन में पढ़ा।

किस्सा-2ः जब घाटा हुआ तो वित्त मंत्री ने कहा- कंजूसी जरूरी है
साल 1952 का था। देश को आजाद हुए 5 साल से ज्यादा का समय बित गया था। श्रीकृष्ण सिंह राज्य के सीएम थे और अनुग्रह नारायण सिंह उनके वित्त मंत्री। 16 मई 1952 को सदन में बिहार का पहला बजट पेश हो रहा था। तब अनुग्रह बाबू ने अपने बजट स्पीच में कहा था, ‘राज्य में खाद्यान्न (अनाज) की कमी के चलते पिछले वर्ष दो करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। अगले बजट में यह राशि दोगुनी हो सकती है।’
तब वित्त मंत्री ने सदन में कहा था, ‘आशा है कि अपनाए गए और अपनाए जाने वाले उपायों के बाद अभावों की खाई को पाटा जा सकता है।’
आलम ये हो गया था कि पैसे की कमी के कारण उस साल साल वित्त मंत्री ने कोई नई योजना नहीं ली थी। खर्च में कंजूसी का आग्रह भी वित्त मंत्री ने की थी।’

अब तक वित्त मंत्रियों को जान लीजिए…
सबसे लंबे समय तक वित्त मंत्री रहने का रिकार्ड अनुग्रह नारायण सिन्हा के नाम
राज्य के पहले वित्त मंत्री डॉ. अनुग्रह नारायण सिन्हा थे। वे 2 अप्रैल 1946 से 5 जुलाई 1957 तक इस पद पर रहे। वे 11 साल तक इस पद पर रहे थे। राज्य में सबसे लंबे समय तक वित्त मंत्री बने रहने का रिकॉर्ड भी इन्हीं के नाम है।
वहीं, दीप नारायण सिंह का कार्यकाल सबसे कम यानी सिर्फ 18 दिन का रहा। वे 1 फरवरी 1961 को यह पद संभाला और 18 फरवरी 1961 को यह पद छोड़ना पड़ा।
लालू, नीतीश और जगन्नाथ मिश्र दो-दो बार बने वित्त मंत्री
वहीं, डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र जून 1980 से अप्रैल 1983 तक पहली बार और दिसंबर 1989 से मार्च 1990 तक दूसरी बार इस पद पर रहे। इसके अलावा लालू प्रसाद यादव मार्च 1990 से मार्च 1995 तक पहली बार और अप्रैल 1995 से जुलाई 1997 तक दूसरी बार इस पद पर रहे।
नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक पहली बार और 17 जून 2013 से 20 मई 2014 तक दूसरी बार इस पद पर रहे। सुशील कुमार मोदी 24 नवंबर 2005 से 16 जून 2013 तक पहली बार और 28 जुलाई 2017 से 13 नवंबर 2020 तक दूसरी बार इस पद पर रहे।
राबड़ी देवी तीन बार बनीं है वित्त मंत्री
राबड़ी देवी ने वित्त मंत्री का पद अब तक सबसे अधिक तीन बार संभाला है। राबड़ी देवी ने पहली बार यह पद जुलाई 1997 से फरवरी 1999 तक संभाला। इसके बाद वह लगातार दूसरी बार मार्च 1999 से मार्च 2000 तक इस पद पर रहीं। तीसरी बार वे 11 मार्च 2000 से फरवरी 2005 तक वित्त मंत्री रहीं।


