मिजोरम की पहाड़ियों में एक अनोखी तस्वीर देखने को मिलती है: महिलाएं अपने बच्चों को गोद में लेकर दुकानों पर काम कर रही हैं, गाड़ी चला रही हैं, खेतों में मेहनत कर रही हैं, और छोटे व्यापार संभाल रही हैं। यह दृश्य केवल आर्थिक मजबूरी का नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं की ताकत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। मिजोरम में महिलाएं अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और उनकी भागीदारी अन्य राज्यों की तुलना में अधिक मानी जाती है।
मातृसत्तात्मक समाज की ताकत

मिजोरम की सामाजिक संरचना मातृसत्तात्मक प्रवृत्ति की ओर झुकी हुई है। यहां महिलाएं पारिवारिक और आर्थिक निर्णयों में बराबर भाग लेती हैं। परंपरागत रूप से, झूम खेती से लेकर व्यापार और हथकरघा तक, महिलाओं की भूमिका प्रमुख रही है।
“यहां की महिलाएं केवल घर संभालने तक सीमित नहीं हैं। वे बाहर काम करने और आर्थिक जिम्मेदारी उठाने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं,” एक स्थानीय व्यापारी रेशमा लालरिनपुई बताते हैं।
बच्चों के साथ काम करने की जरूरत

मिजोरम की महिलाएं अक्सर अपने छोटे बच्चों को गोद में लेकर काम करती हुई दिखती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि परिवार में बच्चों की देखभाल के लिए कोई अन्य सदस्य मौजूद नहीं होता। फिर भी, वे घर और काम के बीच संतुलन बखूबी बनाए रखती हैं।
“हम काम करने के साथ-साथ अपने बच्चों की देखभाल भी करते हैं। बच्चों को अपने साथ रखना ज्यादा सुरक्षित और आरामदायक लगता है,” एक महिला दुकानदार मारीमपुई ने कहा।
अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका
मिजोरम की अर्थव्यवस्था में महिलाओं का योगदान कई स्तरों पर देखा जा सकता है:
- झूम खेती: महिलाएं पारंपरिक झूम खेती में सक्रिय भूमिका निभाती हैं। फसल बुआई, देखभाल, और कटाई में उनकी मेहनत काबिले-तारीफ है।
- हथकरघा और हस्तशिल्प: मिजोरम की पारंपरिक पुआन (कपड़े) बनाने में महिलाएं मुख्य भूमिका निभाती हैं। यह कला स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी लोकप्रिय है।
- स्थानीय व्यापार: छोटे दुकानों और बाजारों में महिलाएं फलों, सब्जियों, और अन्य उत्पादों की बिक्री करती हैं।
- स्वयं सहायता समूह: स्वयं सहायता समूह (SHGs) महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और आर्थिक रूप से सशक्त करने का एक प्रमुख माध्यम हैं।
शिक्षा और जागरूकता की भूमिका
मिजोरम में महिलाओं की साक्षरता दर 90% से अधिक है, जो उन्हें अपने अधिकारों और अवसरों के प्रति जागरूक बनाती है। सरकार और गैर-सरकारी संगठन (NGOs) भी महिलाओं को स्वरोजगार और वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
पुरुषों के पलायन का प्रभाव
राज्य के कई पुरुष नौकरी के लिए शहरों या अन्य राज्यों में चले जाते हैं। इस स्थिति में परिवार की पूरी जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर आ जाती है। वे न केवल घर संभालती हैं, बल्कि परिवार का आर्थिक आधार भी बनती हैं।
निष्कर्ष
मिजोरम में महिलाओं का कामकाजी जीवन केवल उनकी मेहनत और समर्पण का प्रमाण नहीं है, बल्कि यह राज्य की सामाजिक और आर्थिक प्रगति का भी प्रतीक है। अपने बच्चों को गोद में लेकर काम करने वाली महिलाएं दिखाती हैं कि संघर्ष और प्रतिबद्धता से हर चुनौती को पार किया जा सकता है। मिजोरम की महिलाएं आज न केवल परिवार, बल्कि पूरे समाज और अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुकी हैं।