पटना से 25 किलोमीटर दूर रामपुर गांव में 30 माली परिवार फूलों की खेती कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। 2 से ढाई लाख तक सालाना आमदनी हो रही है। त्योहार के समय फूलों की डिमांड काफी बढ़ जाती है। गांव के कई लोगों को इससे रोजगार भी मिला है। फूलों की खेती इनके पूर्वज भी करते थे।
नौबतपुर के रामपुर गांव में 30 बीघा जमीन पर चेरी, गेंदा, चीना, पीला गेंदा, मोगरा, गुलदाउदी और अड़हुल की खेती की जाती है। फूल उत्पादक संजीत मालाकार ने भास्कर से बातचीत में बताया कि परिवार के 10 सदस्य हर रोज सुबह से ही इस काम में जुट जाते हैं।
फूलों की तुड़ाई के लिए गांव की 7-8 महिलाओं को रोजाना 80 रुपए की दैनिक मजदूरी पर रखा गया है। सुबह 3 से 4 घंटे का काम होता है। यहां से पटना के महावीर मंदिर के साथ-साथ वाराणसी के विभिन्न मंदिरों में पूजा के लिए फूल भेजे जाते हैं।
मंडी में होलसेल रेट में सप्लाई किया जाता है
किसान तुलसी मालाकार, सोहन मालाकार, चंदन भगत, सुशील मालाकार ने बताया कि यह छोटा सा गांव कई परिवारों को रोजगार भी दे रहा है। फूलों को पटना की मंडियों में बेचते हैं। 15 से 20 बंडल प्रतिदिन के हिसाब से फूल टूटता है।
फूल तोड़ने के बाद सबसे पहले अपने घरों में लाते हैं। परिवार की महिलाएं माला बनाने का काम करती हैं। माला और फूल महावीर मंदिर के पास मंडी में होलसेल रेट में सप्लाई किया जाता है। जिसके बदले अच्छा पैसा मिलता है। छोटा गेंदा 2 से 4 रुपए, जबकि बड़ा गेंदा 4 से 5 रुपए प्रति लड़ी के हिसाब से सप्लाई की जाती है। शादी, दुर्गा पूजा, दीपावली और छठ पूजा में फूलों की डिमांड काफी बढ़ जाती है।
खेती पर मौसम का काफी प्रभाव पड़ता है
फूलों की खेती पर गर्मी, पछुआ हवा और बारिश का बुरा प्रभाव पड़ता है। कभी-कभी तो पूंजी निकलना भी मुश्किल हो जाता है। सरकारी मदद मिलने पर पटना के अलावा उत्तर प्रदेश के साथ-साथ नेपाल में भी सप्लाई किया जा सकता है।
खाली समय काम करती हूं
खेत में काम करने वाली नीतू कुमारी ने बताया कि गांव के कई लोग यहां काम करते हैं। फूल तोड़ने के लिए रोजाना 80 रुपए मिलता है। जिससे घर चलाने में कुछ मदद मिल जाती है। खाली समय में खेतों में काम करने के लिए आती हूं।