बिहार भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जो अपनी ऐतिहासिक विरासत, समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और विशिष्ट भौगोलिक संरचना के लिए प्रसिद्ध है। यह राज्य गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है और इसकी भौगोलिक स्थिति इसे भारत के प्रमुख कृषि क्षेत्रों में से एक बनाती है। बिहार की भौगोलिक संरचना को उसके स्थलरूप, जलवायु, मिट्टी, नदियाँ और प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर समझा जा सकता है।
1. बिहार की भौगोलिक स्थिति
बिहार भारत के पूर्वी भाग में स्थित है और इसकी सीमाएँ उत्तर में नेपाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश, दक्षिण में झारखंड और पूर्व में पश्चिम बंगाल से मिलती हैं। इसका क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे भारत के बड़े राज्यों में से एक बनाता है।
अक्षांश और देशांतर:
- बिहार 24°20′ उत्तर से 27°31′ उत्तर अक्षांश के बीच स्थित है।
- इसका देशांतर 83°19′ पूर्व से 88°17′ पूर्व के बीच आता है।
इस भौगोलिक स्थिति के कारण बिहार की जलवायु उष्णकटिबंधीय होती है और यहाँ वर्षा तथा तापमान में भिन्नता पाई जाती है।
2. स्थलाकृति (Topography) और भूभाग
बिहार की भौगोलिक संरचना को तीन प्रमुख भौगोलिक भागों में बाँटा जा सकता है:
(क) उत्तर बिहार का मैदानी क्षेत्र
उत्तर बिहार का क्षेत्र हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा निर्मित एक समतल मैदान है। यहाँ की मिट्टी अत्यधिक उपजाऊ होती है, जिससे यह भारत के प्रमुख कृषि क्षेत्रों में शामिल है।
मुख्य विशेषताएँ:
- यह क्षेत्र गंगा के उत्तरी भाग में फैला हुआ है।
- इसमें गंडक, कोसी, बागमती, और घाघरा जैसी नदियाँ प्रवाहित होती हैं।
- यह इलाका बाढ़ प्रवण (Flood-Prone) क्षेत्र माना जाता है, विशेष रूप से कोसी नदी की वजह से।
- यहाँ की जलोढ़ मिट्टी कृषि के लिए अत्यंत अनुकूल होती है।
(ख) मध्य बिहार का पठारी क्षेत्र
यह क्षेत्र गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के दक्षिण में स्थित है। यह अपेक्षाकृत अधिक ऊँचाई वाला क्षेत्र है, जिसमें कई छोटे-छोटे पहाड़ और पठार शामिल हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
- यह इलाका दक्षिण बिहार के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है।
- यहाँ की मिट्टी अधिकतर लेटेराइट और काली मिट्टी होती है।
- यह क्षेत्र खनिज संसाधनों से समृद्ध है, विशेषकर गया, नवादा और रोहतास जिले में।
- यहाँ पर उष्णकटिबंधीय शुष्क वनस्पति पाई जाती है।
(ग) दक्षिण बिहार का पठारी क्षेत्र
यह क्षेत्र छोटा नागपुर पठार का विस्तार है और इसमें पर्वतीय और पठारी भूभाग सम्मिलित हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
- यह क्षेत्र झारखंड की सीमा के निकट स्थित है।
- यहाँ की मिट्टी में लौह अयस्क और बॉक्साइट जैसी खनिज संपदाएँ मिलती हैं।
- इस इलाके में नदियाँ अपेक्षाकृत गहरी घाटियों से होकर बहती हैं।
- यहाँ पर वन क्षेत्र अधिक मात्रा में पाया जाता है।
3. नदियाँ और जल निकासी तंत्र
बिहार की नदियाँ इसकी भौगोलिक संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह राज्य मुख्यतः गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के जल निकासी तंत्र से प्रभावित होता है।
प्रमुख नदियाँ:
- गंगा नदी: यह बिहार की सबसे महत्वपूर्ण नदी है, जो पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है और इसे दो भागों में विभाजित करती है – उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार।
- कोसी नदी: इसे ‘बिहार का शोक’ कहा जाता है, क्योंकि यह अक्सर बाढ़ का कारण बनती है।
- गंडक नदी: यह नेपाल से निकलकर बिहार के मैदानों में बहती है।
- सोन नदी: यह दक्षिण बिहार में बहने वाली प्रमुख नदी है।
- बागमती नदी: यह उत्तर बिहार की प्रमुख नदियों में से एक है और अक्सर बाढ़ लाती है।
4. जलवायु और मौसम
बिहार की जलवायु मानसूनी जलवायु है, जिसमें ग्रीष्म, शीत और वर्षा ऋतु प्रमुख रूप से पाई जाती है।
- गर्मी (मार्च से जून):
- तापमान 35°C से 45°C तक रहता है।
- मई और जून में लू (गर्म हवाएँ) चलती हैं।
- वर्षा ऋतु (जुलाई से सितंबर):
- औसत वार्षिक वर्षा 1000 मिमी से 1200 मिमी तक होती है।
- मानसून की शुरुआत जून के अंत में होती है।
- सर्दी (नवंबर से फरवरी):
- तापमान 5°C से 15°C तक गिर सकता है।
- कोहरा और ठंडी हवाएँ चलती हैं।
5. मिट्टी और कृषि
बिहार की मिट्टी मुख्यतः चार प्रकार की होती है:
- जलोढ़ मिट्टी: यह गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे पाई जाती है और अत्यधिक उपजाऊ होती है।
- लेटराइट मिट्टी: यह दक्षिण बिहार के पठारी क्षेत्र में मिलती है और इसमें लौह अयस्क की मात्रा अधिक होती है।
- काली मिट्टी: इसे रेगुर मिट्टी भी कहते हैं और यह कपास की खेती के लिए उपयुक्त होती है।
- रेतीली मिट्टी: यह गंगा के पास वाले क्षेत्रों में मिलती है और कम उपजाऊ होती है।
6. वनस्पति और वन्यजीव
बिहार में प्राकृतिक वनस्पति की विविधता देखने को मिलती है। यहाँ मुख्यतः तीन प्रकार के वन पाए जाते हैं:
- उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन: गया, रोहतास और कैमूर जिलों में पाए जाते हैं।
- दलदली वन: ये गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे विकसित होते हैं।
- झाड़ीदार वन: ये दक्षिणी पठारी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
प्रमुख वन्यजीव:
- टाइगर, तेंदुआ, चीतल, सांभर, जंगली सूअर, गंगा डॉल्फिन, और विभिन्न प्रकार के पक्षी।
7. प्राकृतिक संसाधन और खनिज
बिहार खनिज संसाधनों की दृष्टि से बहुत समृद्ध नहीं है, लेकिन यहाँ कुछ महत्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं, जैसे:
- लौह अयस्क (गया और रोहतास)
- बॉक्साइट (मुंगेर और जमुई)
- चूना पत्थर (कैमूर)
- अभ्रक (गया और नवादा)
निष्कर्ष
बिहार की भौगोलिक संरचना इसे भारत के अन्य राज्यों से विशिष्ट बनाती है। गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों ने इसे एक उपजाऊ कृषि क्षेत्र में बदल दिया है, जबकि इसकी विविध स्थलाकृति इसे प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाती है। हालांकि, बाढ़ और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियाँ भी यहाँ मौजूद हैं, जिन्हें वैज्ञानिक तरीकों से हल करने की आवश्यकता है।
बिहार की भौगोलिक संरचना इसकी आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को सीधे प्रभावित करती है। इस क्षेत्र के संतुलित विकास के लिए जल प्रबंधन, वनीकरण और सतत कृषि प्रणाली को अपनाना आवश्यक है।