एक बड़ी कानूनी कार्रवाई में, अदालत ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और पांच अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह मामला एक कंपनी की कथित रूप से फर्जी लिस्टिंग से जुड़ा है, जिसमें नियामक अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप लगाए गए हैं।
अदालत ने इस पूरे मामले की जांच की निगरानी करने का फैसला लिया है और जांच एजेंसियों से 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। यह मामला तब सामने आया जब कुछ निवेशकों ने अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि एक कंपनी को जानबूझकर गलत तरीके से स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध किया गया, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
फर्जी लिस्टिंग में मिलीभगत के आरोप
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, पूर्व सेबी प्रमुख समेत अन्य अधिकारी इस फर्जी लिस्टिंग में शामिल थे और उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया। आरोप है कि नियामक एजेंसियों ने लिस्टिंग प्रक्रिया में अनियमितताएं नजरअंदाज कीं और नियमों की अवहेलना कर कंपनी को मंजूरी दी।
कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया
अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि इस तरह की अनियमितताओं से निवेशकों का भरोसा टूटता है और बाजार में पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं। कोर्ट ने साफ किया कि वह खुद इस जांच की निगरानी करेगा ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
सेबी पर उठे सवाल
इस मामले ने एक बार फिर सेबी और उसके नियामक दृष्टिकोण पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सेबी निवेशकों के हितों की रक्षा करने में विफल हो रही है? आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है।