नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2025 (Economic Survey 2025) पेश किया। यह सर्वेक्षण देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और आगामी वित्तीय वर्ष के लिए विकास संभावनाओं का विश्लेषण करता है। इस रिपोर्ट को बजट 2025-26 से पहले पेश किया गया है, जो आगामी वित्तीय नीतियों और आर्थिक सुधारों की दिशा में संकेत देता है।
भारत की आर्थिक स्थिति पर मुख्य बातें:
- विकास दर: सर्वेक्षण के अनुसार, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2024-25 में अनुमानित रूप से 7.2% रहने की संभावना है।
- महंगाई: महंगाई दर में स्थिरता बनी हुई है, लेकिन वैश्विक बाजार के उतार-चढ़ाव के कारण कुछ चुनौतियाँ बनी रह सकती हैं।
- निवेश और रोजगार: देश में निजी निवेश बढ़ रहा है, जिससे नई नौकरियों के अवसर पैदा हो सकते हैं।
- राजकोषीय घाटा: सरकार का लक्ष्य राजकोषीय घाटे को 5.5% तक सीमित रखना है।
- बैंकिंग और वित्त: डिजिटल लेन-देन में वृद्धि हुई है और बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत बनी हुई है।
महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर सरकार का फोकस:
- कृषि क्षेत्र: किसानों को अधिक सहूलियत देने के लिए नई योजनाएँ प्रस्तावित की जा सकती हैं।
- स्टार्टअप और MSME: छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियाँ लाई जा सकती हैं।
- मेक इन इंडिया: घरेलू उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा।
- हरित ऊर्जा: सरकार स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए नई परियोजनाओं पर ध्यान दे रही है।
आगे की राह:
आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था की सकारात्मक तस्वीर प्रस्तुत की गई है, जिससे संकेत मिलता है कि आगामी बजट 2025-26 में सरकार आर्थिक सुधारों, इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल इकोनॉमी और सामाजिक कल्याण पर विशेष ध्यान दे सकती है।
देशभर के निवेशकों, व्यापारियों और आम जनता की निगाहें अब 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट 2025-26 पर टिकी हैं।