Wednesday, July 2, 2025
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दिल्ली में बिहारी नेता का डिप्टी CM बनना लगभग तय:3 नेताओं की चर्चा, MP-राजस्थान की तरह सरप्राइज कर सकती है BJP

27 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई BJP में CM के नाम और मंत्रिमंडल के गठन की कवायद तेज कर दी गई। PM नरेंद्र मोदी US दौरे से लौट चुके हैं। अब जल्द दिल्ली की नई सरकार शपथ ले सकती है।

दिल्ली में BJP की वापसी में पूर्वांचल के वोटरों का बड़ा योगदान है। पूर्वांचल बाहुल्य 23 सीटों में से भाजपा 17 सीट जीतने में कामयाब हुई है।

इसलिए संभावना जताई जा रही है कि दिल्ली में इस बार CM के साथ दो डिप्टी CM बनाए जा सकते हैं। इनमें से एक चेहरा बिहार से ताल्लुक रखने वाला हो सकता है। इस रेस में 3 नाम अभय वर्मा, चंदन चौधरी और पंकज सिंह का आगे है, लेकिन BJP मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह किसी नए नाम से सरप्राइज दे सकती है।

भास्कर को NDA के टॉप नेता ने बताया, ‘दिल्ली में एक डिप्टी सीएम पूर्वांचल का होना लगभग तय है, क्योंकि दिल्ली में मिली जीत में पूर्वांचलियों का बहुत बड़ा रोल है। ये अभी तक अरविंद केजरीवाल का वोट बैंक था, जो इस बार BJP में शिफ्ट हुआ है। पार्टी अब इन्हें साधने के लिए पूर्वांचल से किसी नेता को डिप्टी सीएम बना सकती है।’

3 पॉइंट में पूर्वांचल को महत्व क्यों?

  1. दिल्ली में 30% यानी करीब 45 लाख पूर्वांचली वोटर हैं, जो 23 सीटों पर निर्णायक हैं। इसमें से भाजपा 17 सीटों पर जीती है। इनकी लामबंदी के लिए योगी आदित्यनाथ, रवि किशन, मनोज तिवारी, गिरिराज सिंह जैसे नेताओं को उतारा था।
  2. 8 महीने बाद बिहार में चुनाव हैं। उसे देखते हुए बीजेपी बिहार से नाता रखने वाले नेता को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।
  3. 2025 में पूर्वांचली वोटरों ने भाजपा की तरफ रुख किया है। BJP के 48 में से 17 यानी एक तिहाई से अधिक विधायक पूर्वांचली वोटरों की बदौलत जीते हैं।

पूर्वांचल को महत्व मिलने के 2 संकेत

  1. बजट में बिहार और पूर्वांचल पर फोकस रहा। पीएम ने अपनी रैलियों में बार-बार पूर्वांचल का जिक्र किया। खुद को पूर्वांचल का सांसद बताया।
  2. 8 फरवरी को चुनावी नतीजे आने के बाद भी पीएम मोदी ने अपनी स्पीच में कई बार पूर्वांचल का जिक्र किया।

अब जानिए, डिप्टी CM की रेस में शामिल 3 नेताओं के बारे में

1. लास्ट आवर में अभय वर्मा को टिकट मिला, पूर्वांचली चेहरों में बड़ा नाम

अभय वर्मा लक्ष्मी नगर से लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं। उनको अबकी बार नॉमिनेशन फाइल करने से कुछ घंटे पहले भाजपा ने टिकट दिया, लेकिन उन्होंने पिछली जीत की मार्जिन से इस बार बढ़ा लिया।

52 वर्षीय अभय वर्मा बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं। दरभंगा के राज हाईस्कूल से 10 वीं करने के बाद सीएम साइंस कॉलेज से पढ़ाई की। बचपन में क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। उनके पिता बांके बिहारी वर्मा चाहते थे कि पढ़ लिखकर कुछ अच्छा काम करें। इसके लिए उन्होंने बेटे को पटना भेजा। पटना में कुछ दिन रहने के बाद अभय पढ़ाई करने दिल्ली चले गए। वहां 1993 में LLB में एडमिशन लिया।

उनका मानना था कि वकालत करने के बाद अधिकांश महापुरुषों ने समाज सेवा के क्षेत्र में बेहतर काम किया है। लॉ की पढ़ाई के दौरान उनका झुकाव राजनीति की तरफ हुआ। तब उन्होंने ABVP ज्वाइन कर लिया।

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2003 में दिल्ली बार काउंसिल के युवा प्रतिनिधि चुने गए। इस दौरान इन्होंने करप्शन और कई अनियमितताओं को लेकर आवाज उठाई। 2007 में भारतीय जनता पार्टी के लीगल सेल से जुड़े।

2009 में दिल्ली बार काउंसिल के चुनाव में भारी मतों से जीतकर प्रतिनिधि चुने गए। दिल्ली भाजपा के पूर्वांचल प्रकोष्ठ के संयोजक बने। फिलहाल भाजपा दिल्ली के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। ये पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे हैं।

2020 दिल्ली दंगों के दौरान उन्होंने कई कार्य किए। इन्हें सांसद मनोज तिवारी के बाद पूर्वांचल का बड़ा चेहरा माना जाता है।

2. पंकज सिंह का भी रेस में नाम, बक्सर में हर साल कराते हैं फुटबॉल टूर्नामेंट

विकासपुरी विधानसभा से पहली बार चुनाव जीते डॉ. पंकज कुमार सिंह भी रेस में है। पंकज बिहार के बक्सर जिले के ब्रह्मपुर प्रखंड के धरौली गांव के रहने वाले हैं। लेकिन पूरा परिवार दिल्ली में रहता है।

इनके पिता दिवंगत राज मोहन सिंह दिल्ली में कमिश्नर थे। इसकी वजह से पंकज बचपन से ही दिल्ली में रह रहे हैं। पंकज 4 भाईयों में तीसरे नंबर के हैं। बड़े भाई मनोज सिंह सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट के साथ-साथ बार काउंसिल ऑफ इंडिया के एक्जीक्यूटिव कमेटी के चेयरमैन भी हैं।

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जबकि, दूसरे और चौथे भाई नीरज कुमार सिंह और राहुल कुमार सिंह दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट हैं।

पंकज हर साल बक्सर के अपने गांव में पिता के नाम पर बाबू राजा मोहन मेमोरियल फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन करते हैं। इसमें राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल टीमें हिस्सा लेती है। साल में एक बार पंकज इसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आते हैं।

3. खगड़िया से काम की तलाश में गए थे चंदन, अभी डिप्टी CM की रेस में

संगम विहार विधानसभा सीट से चंदन कुमार चौधरी पहली बार विधायक चुने गए हैं। चंदन मूल रूप से बिहार के खगड़िया जिले के चक प्रयाग गांव के रहने वाले हैं।

बताया जाता है कि चंदन 10वीं की पढ़ाई करने के बाद दिल्ली काम की तलाश में गए थे। कुछ दिन नौकरी की। इसके बाद प्रॉपर्टी डीलर का काम शुरू किया। इसी सिलसिले में वह भाजपा के साथ भी जुड़ गए।

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पार्टी में काम किया। 2015 नगर निगम चुनाव में पार्टी ने उन पर भरोसा जताया और संगम बिहार से टिकट दिया। निगम चुनाव में वह जीत गए। अबकी बार भाजपा ने विधानसभा चुनाव का टिकट दिया। इसमें उन्होंने AAP के दिनेश मोहनिया को 344 वोटों से हराया।

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