बिहार, जो भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना के लिए जाना जाता है। यह राज्य विविध सामाजिक पहलुओं का एक अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है, जिसमें जातिगत संरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति, महिला सशक्तिकरण, शहरीकरण और ग्रामीण विकास जैसी तमाम चीजें शामिल हैं। इस लेख में, हम बिहार के सामाजिक क्षेत्र का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
1. बिहार की सामाजिक संरचना
बिहार की सामाजिक संरचना जटिल और बहुस्तरीय है। यहाँ जातिगत और धार्मिक विविधता काफी गहरी है, जो सामाजिक गतिविधियों और राजनीति को प्रभावित करती है।
(क) जातिगत संरचना

बिहार में जाति-आधारित समाज एक प्रमुख भूमिका निभाता है। राज्य में उच्च जातियों (ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार, कायस्थ), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की विभिन्न श्रेणियाँ मौजूद हैं। जातिगत समीकरण राजनीति, सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक अवसरों को प्रभावित करते हैं।
(ख) धार्मिक विविधता

बिहार में हिंदू धर्म के अनुयायियों की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन यहाँ मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी रहते हैं। विशेष रूप से, बौद्ध धर्म का बिहार से गहरा संबंध है, क्योंकि बुद्ध ने यहीं बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया था।
2. बिहार में शिक्षा की स्थिति
शिक्षा किसी भी समाज के विकास की रीढ़ होती है। बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हुआ है, लेकिन अब भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
(क) प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा

सरकार द्वारा ‘मुख्यमंत्री निश्चय योजना’ और ‘मध्याह्न भोजन योजना’ जैसे कार्यक्रमों के तहत विद्यालयों में छात्रों की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया गया है। फिर भी, सरकारी स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं की कमी, शिक्षकों की अनुपलब्धता और ड्रॉपआउट दर चिंता का विषय है।
(ख) उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा

बिहार में कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालय और तकनीकी संस्थान हैं, जैसे कि पटना विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, नालंदा विश्वविद्यालय और IIT पटना। फिर भी, उच्च शिक्षा के लिए छात्रों का पलायन बड़ी समस्या बनी हुई है।
3. बिहार में स्वास्थ्य सेवाएँ

स्वास्थ्य सेवा किसी भी समाज की गुणवत्ता का महत्वपूर्ण संकेतक होती है। बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं में कुछ सुधार हुए हैं, लेकिन अभी भी यह क्षेत्र चुनौतियों से घिरा हुआ है।
(क) सरकारी स्वास्थ्य सेवाएँ
बिहार में ‘मुख्यमंत्री निश्चय योजना’ और ‘आयुष्मान भारत योजना’ जैसी योजनाओं के तहत गरीबों को निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ देने का प्रयास किया गया है। लेकिन, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी, दवाइयों की अनुपलब्धता और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसी समस्याएँ बनी हुई हैं।
(ख) मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य
बिहार में मातृ मृत्यु दर (MMR) और शिशु मृत्यु दर (IMR) राष्ट्रीय औसत से अधिक है। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए ‘जननी सुरक्षा योजना’ और ‘मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना’ चलाई जा रही हैं।
4. बिहार में आर्थिक असमानता और गरीबी
बिहार भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक है, लेकिन यहाँ धीरे-धीरे आर्थिक सुधार हो रहा है।
(क) बेरोजगारी की समस्या
बिहार में रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिसके कारण यहाँ से पलायन की दर बहुत अधिक है। लाखों लोग रोजगार की तलाश में दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में जाते हैं।
(ख) ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था
राज्य की 80% से अधिक आबादी गाँवों में रहती है और मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करती है। हालाँकि, शहरीकरण बढ़ रहा है, लेकिन औद्योगिकीकरण की कमी के कारण पर्याप्त रोजगार सृजन नहीं हो पा रहा है।
5. महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधार
बिहार में महिलाओं की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, लेकिन अभी भी कई सामाजिक कुरीतियाँ बनी हुई हैं।
(क) शिक्षा और रोजगार में महिलाओं की भागीदारी
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘कन्या उत्थान योजना’ जैसी सरकारी योजनाओं के कारण महिलाओं की शिक्षा दर बढ़ी है। साथ ही, पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया गया है, जिससे उनकी राजनीतिक भागीदारी बढ़ी है।
(ख) दहेज प्रथा और बाल विवाह
बिहार में दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयाँ अभी भी मौजूद हैं। राज्य सरकार ने ‘दहेज मुक्त बिहार अभियान’ और ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना’ जैसी पहल की हैं।
6. बिहार में शहरीकरण और बुनियादी ढाँचा
बिहार में शहरीकरण की गति धीमी है, लेकिन कुछ शहर तेजी से विकसित हो रहे हैं।
(क) प्रमुख शहर और विकास योजनाएँ
पटना, गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और दरभंगा जैसे शहर तेजी से विकसित हो रहे हैं। ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ के तहत पटना और मुजफ्फरपुर में बुनियादी ढाँचे का विकास किया जा रहा है।
(ख) परिवहन और कनेक्टिविटी
सड़क, रेल और वायु परिवहन में सुधार हुआ है। पटना हवाई अड्डे का विस्तार किया गया है, और बिहार में कई राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ है।
7. बिहार की सांस्कृतिक धरोहर
बिहार की संस्कृति बहुत समृद्ध है, जिसमें लोककला, नृत्य, संगीत और त्योहारों की अनूठी विरासत है।
(क) प्रमुख त्योहार
- छठ पूजा (बिहार का सबसे बड़ा पर्व)
- होली, दिवाली और दशहरा
- सरस्वती पूजा और रामनवमी
- बौद्ध महोत्सव और सोनपुर मेला
(ख) लोककला और परंपराएँ
- मधुबनी पेंटिंग (विश्व प्रसिद्ध लोक कला)
- भोजपुरी, मैथिली और मगही साहित्य
- लोकनृत्य और लोकगीत
निष्कर्ष
बिहार का सामाजिक क्षेत्र एक जटिल किन्तु विविधतापूर्ण संरचना को दर्शाता है। यहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और बुनियादी ढाँचे में सुधार हो रहा है, लेकिन जातिवाद, गरीबी, बेरोजगारी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। यदि सरकार और समाज मिलकर इन समस्याओं का समाधान करें, तो बिहार एक विकसित और समृद्ध राज्य बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकता है।