महाकुंभ के बाद गंगा नदी के जल की शुद्धता को लेकर किए गए एक सर्वे में चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के कई हिस्सों में गंगा का पानी नहाने योग्य नहीं रह गया है। बढ़ते प्रदूषण और औद्योगिक कचरे के कारण गंगा की जल गुणवत्ता में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे न केवल श्रद्धालुओं बल्कि स्थानीय निवासियों की चिंता भी बढ़ गई है।
खतरनाक स्तर पर पहुंचा जल प्रदूषण
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, गंगा जल में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया, औद्योगिक रसायन और अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। पटना, मुंगेर, भागलपुर और कटिहार जैसे इलाकों में जल की गुणवत्ता जांचने पर यह पाया गया कि पानी में प्रदूषण इतना अधिक है कि इसका उपयोग स्नान के लिए भी सुरक्षित नहीं है।
श्रद्धालुओं में बढ़ी चिंता
गंगा को मोक्षदायिनी और पवित्र माना जाता है, लेकिन इस रिपोर्ट के बाद गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं में भय व्याप्त हो गया है। गंगा किनारे बसे गांवों और शहरों के लोग, जो पीने और दैनिक उपयोग के लिए इस जल पर निर्भर हैं, अब गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे से जूझ सकते हैं।
सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग
पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य और केंद्र सरकार से गंगा की सफाई को लेकर सख्त कदम उठाने की मांग की है। ‘नमामि गंगे’ जैसी योजनाओं के बावजूद गंगा का जल लगातार दूषित हो रहा है। यदि समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले वर्षों में स्थिति और भयावह हो सकती है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस रिपोर्ट को कितनी गंभीरता से लेता है और गंगा की निर्मलता को बनाए रखने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।