भारतीय घरेलू क्रिकेट के महान लेफ्ट-आर्म स्पिनर पद्माकर शिवालकर का निधन हो गया। 1960 और 70 के दशक में मुंबई के लिए खेलते हुए उन्होंने रणजी ट्रॉफी में अपनी फिरकी का जलवा बिखेरा। हालांकि, अपने समय के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में से एक होने के बावजूद, वह कभी भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बन पाए, क्योंकि उनकी क्रिकेट यात्रा महान बिशन सिंह बेदी के दौर के साथ मेल खाती थी।
घरेलू क्रिकेट के दिग्गज
शिवालकर ने मुंबई रणजी टीम के लिए शानदार प्रदर्शन किया और अपनी फिरकी से कई बल्लेबाजों को चकमा दिया। उनके नाम रणजी ट्रॉफी में 589 विकेट दर्ज हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि वह अपने युग के बेहतरीन स्पिनरों में से एक थे। 1972-73 के रणजी फाइनल में उन्होंने शानदार 13 विकेट चटकाकर मुंबई को खिताबी जीत दिलाई थी।
भारतीय टीम में जगह न मिलना बड़ी विडंबना
अपने करियर के दौरान शिवालकर ने लगातार शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन भारतीय टीम में जगह नहीं बना सके। उस दौर में भारतीय टीम में पहले से ही बिशन सिंह बेदी, वेंकटराघवन और चंद्रशेखर जैसे दिग्गज स्पिनर मौजूद थे, जिसकी वजह से उन्हें कभी राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने का मौका नहीं मिला।
क्रिकेट जगत में शोक की लहर
शिवालकर के निधन से भारतीय क्रिकेट जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन और पूर्व क्रिकेटरों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। वह घरेलू क्रिकेट के ऐसे सितारे थे, जिनकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ी।
पद्माकर शिवालकर भले ही भारतीय टीम में जगह नहीं बना सके, लेकिन उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।