छत्तीसगढ़ में भारतीय सुरक्षाबलों ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए 31 माओवादी उग्रवादियों को मार गिराया। यह मुठभेड़ 10 फरवरी 2025 को राज्य के कांकेर जिले के घने जंगलों में हुई, जहां सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच घंटों तक गोलीबारी चली। इस ऑपरेशन को नक्सल विरोधी अभियान की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है।
कैसे हुई मुठभेड़?
सुरक्षा एजेंसियों को खुफिया सूचना मिली थी कि कांकेर जिले के जंगलों में बड़ी संख्या में माओवादी नेता और उनके लड़ाके जमा हुए हैं और किसी बड़ी वारदात की योजना बना रहे हैं। इसके बाद सीआरपीएफ (CRPF), डीआरजी (District Reserve Guard) और एसटीएफ (Special Task Force) की संयुक्त टीम ने इलाके में घेराबंदी कर ऑपरेशन शुरू किया।
जब सुरक्षाबल इलाके में पहुंचे, तो माओवादियों ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की, जो कई घंटों तक चली। अंततः 31 माओवादी ढेर हो गए, जबकि कई अन्य घायल हो गए और जंगल में भाग निकले।
ऑपरेशन में क्या बरामद हुआ?
मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार, विस्फोटक, नक्सली दस्तावेज और संचार उपकरण बरामद किए गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, मारे गए उग्रवादियों में कई शीर्ष माओवादी कमांडर भी शामिल हो सकते हैं, जिनकी पहचान की जा रही है।
सरकार और सुरक्षा बलों का बयान
इस सफल ऑपरेशन के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने सुरक्षाबलों की साहसिक कार्रवाई की सराहना की। अधिकारियों का कहना है कि राज्य से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने तक ऐसे अभियान जारी रहेंगे।
छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजीपी ने बताया, “यह नक्सल उन्मूलन अभियान की एक बड़ी सफलता है। हमारे जवानों ने साहस और रणनीति के साथ ऑपरेशन को अंजाम दिया। घायलों की तलाश जारी है, और जंगलों में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।”
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इस कार्रवाई के बाद स्थानीय ग्रामीणों में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई लोग राहत महसूस कर रहे हैं कि माओवादी गतिविधियों पर कड़ी चोट की गई है, जबकि कुछ लोग अब भी डरे हुए हैं कि बच निकले नक्सली बदला लेने की कोशिश कर सकते हैं।
निष्कर्ष
यह मुठभेड़ छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे सुरक्षाबलों के सख्त रुख को दिखाती है। यह ऑपरेशन न केवल माओवादी गतिविधियों पर बड़ा प्रहार है, बल्कि राज्य में शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी माना जा रहा है।