नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कांग्रेस ने कुचल दिया था। उन्होंने कांग्रेस पर वंशवादी राजनीति, तुष्टिकरण और लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “कांग्रेस के मॉडल में परिवार ही सर्वोपरि है। जब वे सत्ता में थे, तो तुष्टिकरण उनकी राजनीति का मुख्य आधार बन गया था। देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर सबसे बड़ा आघात 1975 में लगा, जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू कर लोकतंत्र को खत्म करने का प्रयास किया।”
आपातकाल का जिक्र कर कांग्रेस पर साधा निशाना
पीएम मोदी ने आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों का जिक्र करते हुए कहा कि उस दौर में प्रेस, न्यायपालिका और आम जनता की स्वतंत्रता को छीन लिया गया था। “देश की आवाज को दबा दिया गया, मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी गई, और हजारों विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। कांग्रेस को लोकतंत्र से नहीं, बल्कि अपने परिवार की सत्ता बचाने से मतलब था,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद अपने चरम पर था। प्रधानमंत्री ने कहा कि “जो लोग लोकतंत्र की रक्षा करने का दावा करते हैं, वे खुद लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने का इतिहास रखते हैं।”
वंशवादी राजनीति और तुष्टिकरण पर हमला
प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस की वंशवादी राजनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस का पूरा ढांचा “परिवार पहले” की नीति पर चलता है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के नेताओं की प्राथमिकता देश नहीं, बल्कि उनका परिवार है। चाहे नीति-निर्माण हो या सरकारी योजनाएं, सब कुछ एक ही परिवार के इर्द-गिर्द घूमता है।”
उन्होंने कांग्रेस के तुष्टिकरण की राजनीति पर भी सवाल उठाया और कहा कि “कांग्रेस की राजनीति हमेशा विभाजनकारी रही है। वे देश की एकता को मजबूत करने की बजाय, समाज में दरारें पैदा करने का काम करते हैं।”
“नया भारत लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध”
पीएम मोदी ने कहा कि आज का भारत लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, “हमने दिखाया है कि सरकार पारदर्शी और जवाबदेह हो सकती है। अब जनता खुद तय करती है कि उसे कैसा नेतृत्व चाहिए।”
प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद संसद में जोरदार हंगामा हुआ, जहां कांग्रेस ने इसका विरोध किया। हालांकि, भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री के बयान का समर्थन करते हुए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया।
इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि आगामी चुनावों में लोकतंत्र, तुष्टिकरण और वंशवादी राजनीति जैसे मुद्दे बड़ी बहस का हिस्सा बनने वाले हैं।