Friday, July 4, 2025
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बसंत पंचमी का पीले रंग से क्या है सम्बन्ध, और माँ शारदा का क्या है प्रिय रंग ?

बसंत पंचमी: ज्ञान, ऊर्जा और नए रंगों का उत्सव!

भारत में हर त्योहार का अपना एक विशेष महत्व और परंपरा होती है। उन्हीं में से एक है बसंत पंचमी, जिसे मां सरस्वती की पूजा और बसंत ऋतु के स्वागत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से पीले रंग के वस्त्र धारण करने की परंपरा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक रहस्य।


बसंत पंचमी कब मनाई जाती है?

बसंत पंचमी हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि आमतौर पर जनवरी और फरवरी के महीने में आती है। इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसे ज्ञान, संगीत, कला और विद्या की देवी माना जाता है।


बसंत पंचमी पर पीले रंग के कपड़े पहनने की परंपरा

1. पीला रंग और प्रकृति का संबंध

बसंत पंचमी के समय प्रकृति खिल उठती है। खेतों में सरसों के पीले फूल लहलहाने लगते हैं, आम के पेड़ों में बौर आ जाते हैं और धरती एक सुनहरी चादर ओढ़ लेती है। इसीलिए इस पर्व पर पीले रंग को महत्व दिया जाता है।

2. मां सरस्वती और पीले रंग की महिमा

मां सरस्वती को शुद्धता, ज्ञान और बुद्धि की देवी माना जाता है। पीला रंग प्रकाश, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है। इस दिन पीले वस्त्र पहनकर मां सरस्वती की कृपा प्राप्त करने की प्रथा है। ऐसा कहा जाता है की ,खासकर माँ सरस्वती को पीला रंग बहुत प्रिय है।

3. सुख-समृद्धि और अच्छे भाग्य का प्रतीक

हिंदू धर्म में पीला रंग खुशहाली, समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है। पीले कपड़े पहनने से सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

4. ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पीला रंग गुरु ग्रह (बृहस्पति) का प्रतीक है, जो विद्या, बुद्धि और समृद्धि का कारक माना जाता है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करने से व्यक्ति को ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।


बसंत पंचमी कैसे मनाई जाती है?

मां सरस्वती की पूजा – इस दिन विद्या, ज्ञान और कला की देवी सरस्वती की विशेष आराधना की जाती है।
विद्यारंभ संस्कार – छोटे बच्चों को पहली बार पढ़ाई की शुरुआत करवाई जाती है।
पीले वस्त्र पहनना – यह रंग ज्ञान, ऊर्जा और शुभता का प्रतीक होता है।
मीठे पकवानों का भोग – पीले रंग के केसरयुक्त व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे केसर हलवा, मीठे चावल आदि।
पतंगबाजी का आयोजन – उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भी है।


बसंत पंचमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि ज्ञान, प्रकृति, नई ऊर्जा और शुभता का उत्सव है। इस दिन पीले वस्त्र पहनना केवल परंपरा ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक, धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस बसंत पंचमी, आप भी पीले रंग में रंग जाइए और मां सरस्वती का आशीर्वाद पाइए!

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