परिचय
बिहार भारत का एक ऐसा राज्य है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से भी संवेदनशील है। बिहार में हर वर्ष बाढ़, सूखा, भूकंप, ठंड, आंधी-तूफान और मानवजनित आपदाओं का खतरा बना रहता है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने मिलकर बिहार में आपदा प्रबंधन को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएँ और कार्यक्रम लागू किए हैं। इस लेख में बिहार में आपदा प्रबंधन की स्थिति, प्रमुख आपदाएँ, सरकारी प्रयास, चुनौतियाँ और भविष्य की रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
बिहार में आपदाओं की स्थिति
बिहार भौगोलिक रूप से गंगा नदी के मैदानी भाग में स्थित है, जो इसे जलवायु और प्राकृतिक परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील बनाता है। बिहार में निम्नलिखित आपदाएँ बार-बार आती हैं—
1. बाढ़

बिहार भारत के उन राज्यों में शामिल है जहाँ हर वर्ष बाढ़ की समस्या उत्पन्न होती है। कोसी, गंडक, बागमती, गंगा और कमला जैसी नदियाँ बरसात के मौसम में उफान पर आ जाती हैं, जिससे कई जिलों में तबाही मचती है।
- 2008 में कोसी नदी की बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी।
- 2020 में गंडक और बागमती नदियों के जलस्तर में वृद्धि से भी लाखों लोग प्रभावित हुए थे।
2. सूखा

बिहार का दक्षिणी और मध्य भाग सूखे की समस्या से प्रभावित होता है। यदि मानसून कमजोर रहता है, तो फसलें प्रभावित होती हैं और जल संकट उत्पन्न हो जाता है।
- 2013 में बिहार के 33 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था।
3. भूकंप

बिहार उच्च भूकंपीय क्षेत्र में आता है, और यहाँ कई बार विनाशकारी भूकंप आ चुके हैं।
- 1934 का नेपाल-बिहार भूकंप सबसे घातक था, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे।
- 2015 में नेपाल में आए भूकंप का प्रभाव बिहार के कई जिलों में भी देखा गया।
4. ठंड और लू (Heat Wave & Cold Wave)

बिहार में ग्रीष्मकाल में अत्यधिक गर्मी पड़ती है, जिससे लू का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह, सर्दियों में शीतलहर के कारण कई लोग प्रभावित होते हैं।
- 2019 में गया और पटना में लू के कारण 100 से अधिक मौतें हुई थीं।
- 2023 में भीषण ठंड के कारण कई जिलों में स्कूल बंद करने पड़े थे।
5. अन्य आपदाएँ
बिहार में वज्रपात, जलजनित रोग, औद्योगिक दुर्घटनाएँ और मानवजनित आपदाएँ भी समय-समय पर आती रहती हैं।
बिहार में आपदा प्रबंधन की संस्थाएँ एवं संरचना
1. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA)
बिहार सरकार ने 2007 में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA) की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य राज्य में आपदा प्रबंधन की नीतियाँ बनाना, जागरूकता फैलाना और आपदा जोखिम कम करना है।
2. जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA)

बिहार के हर जिले में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) कार्यरत है, जो जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन की योजनाओं को लागू करता है।
3. राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)

बिहार में SDRF और NDRF की टीमें बाढ़ और अन्य आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाती हैं।
4. आपदा राहत कोष (SDRF & NDRF फंडिंग)

बिहार में आपदाओं से निपटने के लिए राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) और राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
बिहार सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन के लिए उठाए गए प्रमुख कदम
1. बाढ़ नियंत्रण के लिए तटबंध निर्माण एवं ड्रेनेज सिस्टम सुधार
बिहार सरकार बाढ़ से बचाव के लिए विभिन्न नदियों के किनारे तटबंध बना रही है। साथ ही, जल निकासी व्यवस्था को सुधारने के लिए नहरों और जलाशयों का निर्माण किया जा रहा है।
2. मौसम पूर्वानुमान और अलर्ट सिस्टम
राज्य सरकार ने बाढ़ और चक्रवात जैसी आपदाओं से पहले चेतावनी देने के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाया है। डॉपलर रडार, सैटेलाइट डेटा और मोबाइल अलर्ट सिस्टम के जरिए समय पर सूचना दी जाती है।
3. आपदा से निपटने के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान
- स्कूलों और कॉलेजों में आपदा प्रबंधन से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- ग्राम स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।
4. आपदा प्रभावितों के लिए राहत एवं पुनर्वास योजनाएँ
- बाढ़ और अन्य आपदाओं के दौरान प्रभावित लोगों को त्वरित राहत के लिए सरकारी आश्रय स्थल बनाए जाते हैं।
- प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री राहत कोष से पीड़ितों को वित्तीय सहायता दी जाती है।
5. स्मार्ट शहर योजना और आपदा प्रतिरोधी ढांचे का विकास
- पटना, गया, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में आपदा-रोधी अवसंरचना का निर्माण किया जा रहा है।
बिहार में आपदा प्रबंधन को प्रभावी बनाने में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं—
- बाढ़ नियंत्रण में असफलता – कोसी और गंडक जैसी नदियाँ हर साल तटबंध तोड़ देती हैं, जिससे बाढ़ की समस्या बनी रहती है।
- सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल संकट – दक्षिण बिहार में भूजल स्तर गिर रहा है, जिससे सूखे की समस्या बढ़ रही है।
- शहरीकरण और अवैध निर्माण – पटना और अन्य शहरों में अनियंत्रित शहरीकरण और अवैध निर्माण आपदा जोखिम को बढ़ाते हैं।
- पर्याप्त संसाधनों की कमी – SDRF और NDRF की टीमें सीमित संसाधनों के कारण हर क्षेत्र में त्वरित सहायता नहीं पहुँचा पातीं।
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव – लगातार बदलते मौसम पैटर्न के कारण आपदाओं की तीव्रता और संख्या बढ़ रही है।
भविष्य की रणनीतियाँ और सुझाव
1. आपदा प्रबंधन के लिए तकनीकी नवाचार
- GIS (Geographical Information System) और ड्रोन तकनीक का उपयोग बाढ़ और अन्य आपदाओं की निगरानी के लिए किया जाना चाहिए।
2. स्थायी जल प्रबंधन और जल संचयन योजनाएँ
- वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देकर सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।
3. बाढ़ पूर्वानुमान और जलनिकासी व्यवस्था में सुधार
- स्मार्ट फ्लड मैनेजमेंट सिस्टम और बेहतर ड्रेनेज सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता है।
4. जनसंख्या नियंत्रण और शहरी नियोजन
- अवैध अतिक्रमण को रोकने और शहरी नियोजन को आपदा प्रतिरोधी बनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
5. सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता
- स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन योजनाओं में शामिल किया जाए, ताकि वे स्वयं आपदाओं का सामना कर सकें।
निष्कर्ष
बिहार में आपदा प्रबंधन की दिशा में कई सकारात्मक पहल की गई हैं, लेकिन अब भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। सरकार, स्थानीय प्रशासन और जनता के सहयोग से आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है। आधुनिक तकनीक, ठोस नीतियाँ और सामुदायिक भागीदारी के जरिए बिहार को आपदाओं से सुरक्षित बनाया जा सकता है।