परिचय
बिहार भारत का तीसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, जो देश के उत्तरी भाग में स्थित है। इसकी जनसंख्या भारत की कुल जनसंख्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है। ऐतिहासिक, सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक कारणों से बिहार की जनसंख्या वृद्धि की दर अधिक रही है। यह लेख बिहार की जनसंख्या, उसके इतिहास, जनसंख्या घनत्व, जनसंख्या वितरण, साक्षरता दर, लिंग अनुपात और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों पर विस्तृत प्रकाश डालेगा।
बिहार की कुल जनसंख्या
भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार की कुल जनसंख्या 10.41 करोड़ (104,099,452) थी। यह राज्य उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद भारत में तीसरी सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। बिहार की जनसंख्या 2001 में 8.29 करोड़ थी, जिसका अर्थ है कि 2001 से 2011 के बीच 25% की वृद्धि दर्ज की गई।
2024 में बिहार की अनुमानित जनसंख्या
चूंकि भारत में हर 10 साल पर जनगणना होती है और 2021 की जनगणना अभी नहीं हुई है, इसलिए वर्तमान में विभिन्न रिपोर्ट्स और अनुमान बताते हैं कि 2024 में बिहार की जनसंख्या लगभग 13 करोड़ तक पहुंच चुकी होगी।
बिहार का जनसंख्या घनत्व
जनसंख्या घनत्व किसी क्षेत्र में प्रति वर्ग किलोमीटर निवास करने वाले लोगों की संख्या को दर्शाता है। बिहार का जनसंख्या घनत्व 2011 की जनगणना के अनुसार 1,102 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था, जो कि भारत के किसी भी अन्य राज्य से अधिक है। इसकी तुलना में पूरे भारत का औसत जनसंख्या घनत्व मात्र 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था। इसका अर्थ यह हुआ कि बिहार की भूमि पर रहने वाले लोगों की संख्या देश के औसत से तीन गुना अधिक है।
जनसंख्या वृद्धि दर
बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर पिछले कई दशकों से भारत में सबसे अधिक रही है।
- 1951 से 1961: 21.44%
- 1961 से 1971: 23.38%
- 1971 से 1981: 23.17%
- 1981 से 1991: 23.38%
- 1991 से 2001: 28.62%
- 2001 से 2011: 25.42%
हालांकि, हाल के वर्षों में राज्य में जनसंख्या वृद्धि दर में हल्की गिरावट आई है, लेकिन यह अभी भी भारत की औसत जनसंख्या वृद्धि दर से अधिक बनी हुई है।
लिंग अनुपात
बिहार में लिंग अनुपात (प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या) 2011 की जनगणना के अनुसार 918 था। यह अनुपात भारत के औसत लिंग अनुपात 940 की तुलना में कम है।
जिलेवार लिंग अनुपात:
- गोपालगंज: 1015
- अररिया: 921
- पटना: 897
- रोहतास: 910
- कैमूर: 910
बिहार में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में लिंग अनुपात थोड़ा बेहतर है।
शहरी और ग्रामीण जनसंख्या
बिहार की कुल जनसंख्या का बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है।
- ग्रामीण जनसंख्या: 89%
- शहरी जनसंख्या: 11%
इसका अर्थ है कि बिहार अभी भी एक ग्रामीण प्रधान राज्य है, जहां अधिकतर लोग कृषि और छोटे व्यवसायों पर निर्भर हैं।
साक्षरता दर
बिहार की साक्षरता दर भारत के अन्य राज्यों की तुलना में कम है।
- 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार की कुल साक्षरता दर 61.8% थी।
- पुरुषों की साक्षरता दर 71.2% थी, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 51.5% थी।
हालांकि, पिछले कुछ दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हुआ है, लेकिन बिहार की साक्षरता दर अभी भी भारत की औसत साक्षरता दर 74.04% से काफी कम है।
बिहार की प्रमुख जातीय और धार्मिक जनसंख्या
बिहार में विभिन्न जातियों और समुदायों के लोग रहते हैं।
धार्मिक जनसंख्या
- हिंदू: 82.7%
- मुस्लिम: 16.9%
- ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और अन्य: 0.4%
जातिगत जनसंख्या
- अनुसूचित जाति (SC): 15.9%
- अनुसूचित जनजाति (ST): 1.3%
- अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और सामान्य वर्ग: शेष जनसंख्या
जातिगत आधार पर बिहार की जनसंख्या विविध है, जहां विभिन्न समुदायों की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति परंपरागत रूप से महत्वपूर्ण रही है।
बिहार में जनसंख्या वृद्धि के कारण
बिहार की उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के पीछे कई कारण हैं:
- उच्च जन्म दर: बिहार की जन्म दर भारत में सबसे अधिक है।
- कम साक्षरता दर: शिक्षा की कमी के कारण परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता कम है।
- ग्रामीण समाज में बड़े परिवारों की परंपरा: लोग अधिक बच्चों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के रूप में देखते हैं।
- महिला सशक्तिकरण की कमी: कम शिक्षा और रोजगार के अवसरों के कारण महिलाएं परिवार नियोजन के फैसलों में सीमित भूमिका निभाती हैं।
- स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी: बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में शिशु मृत्यु दर अधिक है, जिससे परिवार अधिक बच्चों को जन्म देते हैं।
बिहार की बढ़ती जनसंख्या के प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव
- कर्मठ श्रमिक बल: बिहार की युवा जनसंख्या इसे भारत के लिए एक प्रमुख श्रम आपूर्ति राज्य बनाती है।
- बाजार की वृद्धि: बड़ी जनसंख्या के कारण यहां एक बड़ा उपभोक्ता बाजार है।
नकारात्मक प्रभाव
- बेरोजगारी: बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार के अवसर सीमित हैं।
- गरीबी: उच्च जनसंख्या घनत्व के कारण संसाधनों पर अधिक दबाव है।
- बुनियादी ढांचे पर दबाव: स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन जैसी सुविधाओं पर अत्यधिक जनसंख्या का प्रभाव पड़ता है।
- प्राकृतिक संसाधनों की कमी: भूमि, जल और ऊर्जा संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
जनसंख्या नियंत्रण के उपाय
बिहार सरकार और केंद्र सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए विभिन्न कदम उठा रही हैं:
- शिक्षा का प्रसार: महिलाओं और बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- परिवार नियोजन कार्यक्रम: लोगों को छोटे परिवार के लाभ समझाए जा रहे हैं।
- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को रोजगार और शिक्षा के अवसर दिए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
बिहार की बढ़ती जनसंख्या राज्य के विकास के लिए एक बड़ी चुनौती और अवसर दोनों है। यदि इसे सही दिशा में नियंत्रित किया जाए, तो यह बिहार को भारत की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला राज्य बना सकता है। इसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्रों में सतत सुधार आवश्यक है।