भारत की सतर्कता और म्यूटेशन पर वैज्ञानिकों का फोकस
भारत, कोरोना महामारी के अनुभवों से सबक लेते हुए, अब एक और वायरस – ह्यूमन मेटाप्न्यूमोवायरस (HMPV) – को लेकर पूरी तरह सतर्क है। केंद्र सरकार ने इस वायरस की बेहतर निगरानी और म्यूटेशन का पता लगाने के लिए चार राज्यों के वैज्ञानिकों को जिम्मेदारी सौंपी है। इस कदम का उद्देश्य वायरस की संरचना और इसके प्रसार को समझकर संभावित खतरों का आकलन करना है।
एचएमपीवी वायरस: म्यूटेशन पर नजर
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में सोमवार को एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। इसमें वैज्ञानिकों ने बताया कि HMPV के दो जीनोटाइप (A और B) हैं, जिनके चार उपवंश (A1, A2, B1, B2) मौजूद हैं। वर्तमान में यह जांच की जा रही है कि भारत में पाए गए हालिया मामले इनमें से किस स्वरूप से संबंधित हैं।
भारत में HMPV के मामले
2024 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित चिकित्सा अनुसंधान केंद्र ने HMPV पर अध्ययन किया था। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ओपीडी और आईपीडी के 100 मरीजों की जांच में 4% नमूनों में HMPV वायरस पाया गया।
जांच में यह बात सामने आई कि भारत में मिले ज्यादातर मामले सिंगापुर और अमेरिका में पाए गए वायरस के स्वरूप (क्लैड) से मेल खाते हैं। इसके अलावा, आईसीएमआर के वैज्ञानिक भी इन नमूनों का अध्ययन कर रहे हैं।
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चीन और वैश्विक स्थिति पर नजर
वर्तमान में चीन और दुनिया के अन्य हिस्सों में HMPV का प्रसार देखा जा रहा है। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि यह पुराने स्वरूप का प्रसार है या इसमें कोई नया म्यूटेशन हुआ है। वैज्ञानिकों ने इस पर अधिक साक्ष्य जुटाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
निष्कर्ष
एचएमपीवी वायरस पर यह शोध भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की सतर्कता और महामारी के खिलाफ तैयारियों का प्रमाण है। समय पर उठाए गए ये कदम आने वाले समय में बड़े संकट को टालने में मददगार साबित हो सकते हैं।