Thursday, July 3, 2025
Homeस्वास्थ्यMyopia treatment in children? बच्चों में निकट दृष्टि दोष को रोकने का...

Myopia treatment in children? बच्चों में निकट दृष्टि दोष को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका

निकट दृष्टि दोष को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका

निकट दृष्टि दोष की समस्या को रोकने के लिए दस वर्षों के शोध के बाद ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के ऑप्टोमेट्री कॉलेज के प्रोफेसर और क्लिनिकल साइंसेज के अध्यक्ष डेविड बर्नत्सेन ने बताया कि निकट दृष्टि दोष को धीमा करने के लिए उनकी टीम द्वारा विकसित की गई विधि न केवल प्रभावी है बल्कि इसके लाभ स्थायी भी हैं।

अध्ययन के बारे में

निकट दृष्टि से पीड़ित बच्चों पर किए गए बाइफोकल लेंस (BLINK) के मूल अध्ययन में पाया गया कि हाई-एड पावर मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस पहनाने से Myopia की समयाअवधि कम हो जाती है। अब BLINK2 अध्ययन जो इन बच्चों पर आगे जारी रहा ने यह पुष्टि की कि लेंस का उपयोग बंद करने के बाद भी इसके लाभ बरकरार रहते हैं।

जेएएमए ऑप्थाल्मोलॉजी में प्रकाशित अपने निष्कर्षों में बर्नत्सेन ने कहा, “हमने यह पाया कि हाई-एड पावर सॉफ्ट मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस के साथ उपचार बंद करने के एक साल बाद भी किशोरों में मायोपिया की प्रगति सामान्य हो जाती है और उपचार के लाभ में कोई कमी नहीं आती। इस अध्ययन को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के नेशनल आई इंस्टीट्यूट ने ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ ऑप्टोमेट्री के सहयोग से किया था।

फोकस में: एक बड़ा मुद्दा

ह्यूस्टन विश्वविद्यालय की टीम का नेतृत्व करते हुए डेविड बर्न्टसन ने एक गंभीर चुनौती का सामना किया है। अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की लगभग 50% आबादी (5 बिलियन लोग) निकट दृष्टि दोष से प्रभावित होगी। इसका मतलब है कि यदि आप निकट दृष्टि दोष से पीड़ित नहीं हैं और चश्मा पहनते हैं तो आपके आसपास बैठे कई लोग इस समस्या से जूझ रहे होंगे।

निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) लंबे समय तक आंखों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जिनमें दृष्टि प्रभावित होना और यहां तक कि अंधेपन का खतरा भी शामिल है।

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ ऑप्टोमेट्री में अनुसंधान के एसोसिएट डीन और BLINK2 अध्ययन के अध्यक्ष जेफरी जे. वॉलिन ने कहा शुरुआती अध्ययनों से यह पता चला है कि हाई-एड मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस आंखों की वृद्धि की गति को धीमा करने में प्रभावी हैं। इससे बच्चों में मायोपिया की संभावना कम हो जाती है। मायोपिया की गंभीर स्थिति भविष्य में कई खतरनाक नेत्र रोगों जैसे रेटिना डिटेचमेंट और ग्लूकोमा से जुड़ी हो सकती है। इसलिए बचपन में इसकी प्रगति को नियंत्रित करना भविष्य में आंखों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मददगार साबित हो सकता है।

Myopia treatment in children? बच्चों में निकट दृष्टि दोष को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका

आँख में होने वाली समस्या


मायोपिया तब होता है जब किसी बच्चे की आंखें सामान्य से ज्यादा लंबी हो जाती हैं जिससे उसकी दृष्टि प्रभावित होती है। जब आंखें रेटिना (आंख के पीछे का प्रकाश-संवेदनशील हिस्सा) के बजाय रेटिना के सामने प्रकाश की छायाएँ केंद्रित करती हैं, तो दूर की वस्तुएँ धुंधली दिखाई देती हैं। इसके परिणामस्वरूप मायोपिया वाले बच्चों को पास की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखती हैं, लेकिन दूर की वस्तुएं उन्हें ठीक से दिखाई नहीं देतीं।

सिंगल विज़न प्रिस्क्रिप्शन ग्लास और कॉन्टैक्ट लेंस मायोपिया के कारण को ठीक नहीं करते। वे केवल दृष्टि को सुधारते हैं लेकिन आंखों की सामान्य से अधिक लंबाई को सुधारने में सक्षम नहीं होते। इसके विपरीत, सॉफ्ट मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस बच्चों में न केवल मायोपिक दृष्टि को ठीक करते हैं, बल्कि आंखों की वृद्धि को धीमा करके मायोपिया की प्रगति को भी नियंत्रित करते हैं।

मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस बुल्सआई के आकार में डिज़ाइन किए जाते हैं और दो प्रमुख तरीके से प्रकाश को फ़ोकस करते हैं। लेंस का केंद्र भाग पास की वस्तुओं को स्पष्ट दिखाता है, जिससे दूर की दृष्टि सुधरती है और प्रकाश को सीधे रेटिना पर केंद्रित करता है। इसके बाहरी भाग में परिधीय प्रकाश को रेटिना के सामने फ़ोकस करने की शक्ति होती है, जिससे विकास धीमा पड़ सकता है। जानवरों पर किए गए अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि रेटिना के सामने परिधीय प्रकाश को फ़ोकस करने से आंखों की वृद्धि धीमी हो सकती है।

BLINK, BLINK2अध्ययन के बारे में

BLINK

मूल BLINK अध्ययन में, 7 से 11 वर्ष की आयु के 294 मायोपिक बच्चों को यादृच्छिक रूप से सिंगल विज़न कॉन्टैक्ट लेंस या मल्टीफोकल लेंस पहनने के लिए सौंपा गया। इनमें से कुछ को हाई-एड पावर (+2.50 डायोप्टर) या मीडियम-एड पावर (+1.50 डायोप्टर) वाले लेंस दिए गए। इन बच्चों ने तीन वर्षों तक दिन में जितना हो सके लेंस पहने। सभी प्रतिभागियों को ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, कोलंबस या यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन के क्लीनिक में देखा गया।

तीन साल बाद, BLINK अध्ययन में पाया गया कि उच्च-एड मल्टीफोकल लेंस पहनने वाले बच्चों की आंखों की वृद्धि धीमी थी और उनकी आंखें मीडियम-एड पावर या सिंगल विज़न लेंस पहनने वाले बच्चों के मुकाबले छोटी थीं।

BLINK2

मूल BLINK अध्ययन के 248 प्रतिभागियों ने BLINK2 अध्ययन जारी रखा। इस दौरान सभी प्रतिभागियों ने दो साल तक हाई-एड (+2.50 डायोप्टर) लेंस पहने, इसके बाद तीसरे वर्ष में सिंगल विज़न लेंस पहने, ताकि यह देखा जा सके कि उपचार बंद करने के बाद भी लाभ बना रहता है या नहीं।

BLINK2 के अंत में, आंखों की वृद्धि आयु-अपेक्षित दरों पर वापस आ गई। हालांकि, मल्टीफोकल लेंस बंद करने के बाद आंखों की वृद्धि में मामूली वृद्धि हुई, यह वृद्धि आयु-अपेक्षित दरों से अलग नहीं थी और कोई तेज़ आंखों की वृद्धि का प्रमाण नहीं मिला।

जो बच्चे BLINK2 के दौरान हाई-एड मल्टीफोकल लेंस पहन रहे थे, उनकी आंखें BLINK2 के अंत में छोटी और कम निकट दृष्टि वाली रही। जिन बच्चों ने BLINK2 में पहली बार हाई-एड मल्टीफोकल लेंस पहना, वे उन बच्चों के बराबर नहीं थे जिन्होंने शुरू से ही हाई-एड लेंस पहने थे।

वहीं, अन्य निकट दृष्टि उपचारों, जैसे एट्रोपिन ड्रॉप्स और ऑर्थोकेराटोलॉजी लेंस के अध्ययन में, उपचार बंद करने के बाद आंखों की वृद्धि में तेज़ी दिखी, जो आयु-अपेक्षित दर से अधिक थी।

बर्नत्सेन ने कहा, “हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि बच्चों में निकट दृष्टि नियंत्रण के लिए छोटी उम्र में मल्टीफोकल लेंस पहनाना और किशोरावस्था के अंत तक उपचार जारी रखना एक प्रभावी रणनीति हो सकती है, जब निकट दृष्टि की प्रगति धीमी हो जाती है।”

Most Popular

बिहार के प्रसिद्ध गाँव और उनकी अनोखी पहचान

बिहार सिर्फ़ एक राज्य नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और परंपरा का संगम है। यहाँ के गाँव सिर्फ खेत-खलिहान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये...

बरसात में काम आएंगे ये देसी नुस्खे और स्मार्ट हैक्स

बरसात का मौसम जहाँ हरियाली और ठंडक लेकर आता है, वहीं कुछ परेशानी—जैसे सर्दी-खांसी, फंगल संक्रमण और मच्छर—भी साथ लाता है। इन्हें आसानी से...

‘पहलगाम हमले की मुझे पहले से थी जानकारी’ — दिल्ली पुलिस को कॉल कर दी सूचना, आरोपी गिरफ्तार

दिल्ली के शकरपुर क्षेत्र में गुरुवार रात एक ड्राइवर ने दिल्ली पुलिस(Delhi Police) को फोन कर दावा किया कि उसे कश्मीर के पहलगाम में...

पहलगाम हमले के बाद उधमपुर में आतंकियों से मुठभेड़, जवान अली शेख शहीद — जम्मू-कश्मीर में 24 घंटे के भीतर तीसरा एनकाउंटर

Udhampur Encounter: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम (Pahalgam) में 27 निर्दोश लोगों की हत्या करने के बाद भी आतंकवादी (Terrorist) और पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज...