राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने संविधान को भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था का मजबूत आधार और हमारी सामूहिक पहचान की आधारशिला बताया। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान हमें न केवल अधिकार देता है, बल्कि कर्तव्यों का भी एहसास कराता है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान सभा के अन्य सदस्यों के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनका दृष्टिकोण आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा, “हमारा संविधान केवल कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे मूल्यों का प्रतीक है।”
उन्होंने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि देश के भविष्य को आकार देने में संविधान का सही पालन और कर्तव्यों का निर्वहन महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी नागरिकों से संविधान की मर्यादा को बनाए रखने की अपील की।
राष्ट्रपति ने लोकतंत्र, न्याय और समानता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यही मूल्य भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में पहचान देते हैं।